कान्हा की छवि अति प्यारी है,
श्याम रंग की शोभा न्यारी है।
उस रूप सुधारस से मन का,
प्याला भर देंगे कभी न कभी।
राधा के मनमोहन घनश्याम,
प्रभु कृपा करेंगे कभी न कभी॥
जो दीनों के परम धाम हैं,
जो केवट और सबरी के धाम है।
ऎसा रूप बनाकर उस घर में,
जा ठहरेंगे हम कभी न कभी।
मीरा के गिरधर गोपाल,
प्रभु कृपा करेंगे कभी न कभी॥
करूणानिधि जिनका नाम है,
जो भवसागर से करते पार हैं।
उनकी करुणा कृपा पाकर,
पार पहुँचेंगे हम कभी न कभी।
गोपीयों के माधव कन्हैया,
प्रभु कृपा करेंगे कभी न कभी॥
द्वार पर उसके खड़े हो जायें,
भक्ति में उसकी दृड़ हो जायें।
हम बिन्दु भी उस सिन्धु में,
मिल जायेंगे कभी न कभी।
करुणा के सागर दीनानाथ,
प्रभु कृपा करेंगे कभी न कभी॥
श्याम रंग की शोभा न्यारी है।
उस रूप सुधारस से मन का,
प्याला भर देंगे कभी न कभी।
राधा के मनमोहन घनश्याम,
प्रभु कृपा करेंगे कभी न कभी॥
जो दीनों के परम धाम हैं,
जो केवट और सबरी के धाम है।
ऎसा रूप बनाकर उस घर में,
जा ठहरेंगे हम कभी न कभी।
मीरा के गिरधर गोपाल,
प्रभु कृपा करेंगे कभी न कभी॥
करूणानिधि जिनका नाम है,
जो भवसागर से करते पार हैं।
उनकी करुणा कृपा पाकर,
पार पहुँचेंगे हम कभी न कभी।
गोपीयों के माधव कन्हैया,
प्रभु कृपा करेंगे कभी न कभी॥
द्वार पर उसके खड़े हो जायें,
भक्ति में उसकी दृड़ हो जायें।
हम बिन्दु भी उस सिन्धु में,
मिल जायेंगे कभी न कभी।
करुणा के सागर दीनानाथ,
प्रभु कृपा करेंगे कभी न कभी॥