Wednesday, March 9, 2011

॥ कृष्णा से दिल लगाकर तो देखो ॥


अंधेरे से निकलकर चांदनी में नहाकर तो देखो।
जिन्दगी क्या है कभी आवरण हटाकर तो देखो॥
कौन है अपना कृष्णा से दिल लगाकर तो देखो॥

उपवन महकता हैं जैसे जीवन भी महक उठेगा।
कन्हैया का नाम दिल से पुकार कर तो देखो॥
कौन है अपना कृष्णा से दिल लगाकर तो देखो॥

कृष्ण सितारा है चमकता रहेगा सदा आँखों में।
दिखलाई देगा ज़रा तन से मन हटाकर तो देखो॥
कौन है अपना कृष्णा से दिल लगाकर तो देखो॥

आँखों के रास्ते किस पल दिल में उतर जायेगा।
सांवरे की छवि को मन में निहार कर तो देखो॥
कौन है अपना कृष्णा से दिल लगाकर तो देखो॥

दीवारों की भी भाषा होती है आवाज भी होती हैं।
अपने मन-मन्दिर की दीवार सजाकर तो देखो॥
कौन है अपना कृष्णा से दिल लगाकर तो देखो॥

दूरियाँ नज़रों की इस जहाँ में सिर्फ़ एक धोखा है।
कान्हा मिलेगा उसकी ओर हाथ बढ़ाकर तो देखो॥
कौन है अपना कृष्णा से दिल लगाकर तो देखो॥