Friday, January 21, 2011

॥ कान्हा से प्रीत ॥


कृष्णा से प्रीत बढ़ाने वालों,
प्रभु नाम को जपने वालों,
भाव निष्काम होने पर ही,
कान्हा से प्रीत हुआ करती है।

बुद्धि की बात मानने वालों,
मन की बात न सुनने वालों,
कर्म निष्काम होने पर ही,
कान्हा से प्रीत हुआ करती है।

घड़ियाली आँसू बहाने वालों,
मोतीयों को व्यर्थ लुटाने वालों,
कर्तव्य-कर्म करने पर ही,
कान्हा से प्रीत हुआ करती है।

तन को स्वयं समझने वालों,
धन को अपना समझने वालो,
अश्रु निष्काम बहने पर ही,
कान्हा से प्रीत हुआ करती है।

कान्हा के लिये तड़पने वालों,
जीवन का अर्थ समझने वालों,
शत्रु को मित्र समझने पर ही,
कान्हा से प्रीत हुआ करती है।

भक्ति का अर्थ न जानने वालों,
जीवन को खेल समझने वालों,
माँ-बाप की बात मानने पर ही,
कान्हा से प्रीत हुआ करती है।

मूर्ति को भगवान समझने वालों,
माला को भक्ति मानने वालों,
हर सूरत में ईश्वर देखने पर ही,
कान्हा से प्रीत हुआ करती है।