Tuesday, May 13, 2014

॥ तुम रूठे रहो मोहन हम तुम्हें मना लेंगे ॥



तुम रूठे रहो मोहन हम तुम्हें मना लेंगे।
आहों में असर होगा घर बेठे बुला लेंगे॥

तुम तो कहते हो मोहन हमें मधुवन प्यारा है।
एक बार तो आ जाओ मधुवन ही बना लेंगे॥

तुम तो कहते हो मोहन हमें राधा प्यारी है।
एक बार तो आ जाओ राधा से मिला लेंगे॥

तुम तो कहते हो मोहन हमें माखन प्यारा है।
एक बार तो आ जाओ माखन ही खिला देंगे॥

तुम तो कहते हो मोहन हमें कहाँ बिठाओगे है।
इस दिल में तो आ जाओ पलकों पे बिठा लेंगे॥

तुम हमको न चाहो इसकी हमें परवाह नहीं।
हम बात के पक्के हैं तुम्हें अपना बना लेंगे॥

लगी आग जो सीने में तेरी प्रेम जुदाई की।
हम प्रेम प्रेम की धारा से लगी दिल की बुझा लेंगे॥

तुम रूठे रहो मोहन हम तुम्हें मना लेंगे।
आहों में असर होगा घर बेठे बुला लेंगे॥