Tuesday, February 22, 2011

॥ कितने रूप दिखा गया कृष्णा ॥


सांवरी सूरत मोहिनी मूरत के,
कितने रूप दिखा गया कृष्णा।
कभी प्रेमी कभी सारथी बन,
गुरु का धर्म निभा गया कृष्णा॥

विराट रूप दिखाकर ब्रह्माण्ड के,
हर लोक में छा गया कृष्णा।
छोटा रूप बनाकर यशोदा की,
गोद में समा गया कृष्णा॥

चोरी छुपे अटारी पर चढ़कर,
चोरी से माखन खा गया कृष्णा।
कभी चीर चुराए गोपियों के तो,
कभी मटकी फोड़ गया कृष्णा॥

गोपीयों का नटखट चितचोर,
चोरी में नाम कमा गया कृष्णा।
मीरा का मनमोहन घनश्याम,
राधा का चैन चुरा गया कृष्णा॥

राधा त्याग की राह चली तो,
हर पथ फूल बिछा गया कृष्णा।
राधा ने प्रेम की आन रखी तो,
प्रेम का मान बढ़ा गया कृष्णा॥

कृष्णा के मन भा गई राधा,
राधा के मन समा गया कृष्णा।
कृष्णा को कृष्णा बना गई राधा,
राधा को राधा बना गया कृष्णा॥

Sunday, February 13, 2011

॥ मेरे ज़ज्बात कृष्णा के लिये ॥


मैं अपने जज्बातों को कभी सजा नहीं देता हूँ,
अंधेरा होने पर चिरागों को न बुझने देता हूँ।
जब कभी दिल को कहीं सुकून नहीं मिलता,
तो मुख से नाम कृष्णा का लेकर भुला देता हूँ।

आँसुओ को दुनियाँ के लिये न कभी बहाता हूँ,
दिल की हर बात किसी को न कभी बताता हूँ।
अश्रु तो बहते हैं तो अपने कृष्णा के लिये सिर्फ़,
अगर कोई बात हो तो कृष्णा को ही बताता हूँ।

जान से भी ज्यादा कृष्णा से प्यार करता हूँ,
याद हर पल उसको दिन-रात किया करता हूँ।
जिन राहों पर क्रीड़ा किया करते थे कान्हा,
उन राहों पर सदा मस्तक झुका दिया करता हूँ।

लबों की हर हँसी कृष्णा के नाम कर देता हूँ,
मन की हर खुशी कृष्णा पर कुर्बान कर देता हूँ।
कृष्णा से बिछुड़ने का जब सताता है गम मुझे,
जीवन का हर क्षण कृष्णा को ही अर्पण कर देता हूँ।

Thursday, February 10, 2011

॥ गोविन्द गोपाल गाता चल ॥


गोविन्द गोपाल गाता चल,
कृष्णा से प्रीत बढ़ाता चल।
हम सब राही प्रेम डगर के,
सब पर प्यार लुटाता चल॥

बिना प्रेम के चले न कोई,
बचपन बुढापा या जवानी,
चाहे सुराई नई उम्र की,
चाहे मटकी कोई हो पुरानी।

भक्ति पथ पर चलना तुझको,
मुस्कुरा कर चलता चल,
गोविन्द गोपाल गाता चल,
कृष्णा से प्रीत बढ़ाता चल।

चाँदी की चार दीवारी में,
जहाँ की हर खुशी वीरान है,
जंजीरें सभी कट गईं मगर,
मुक्त हुआ नहीं इन्सान है।

प्यासी है हर इक गागर,
प्रेम गंगा से भरता चल,
गोविन्द गोपाल गाता चल,
कृष्णा से प्रीत बढ़ाता चल॥

संसार नहीं कभी किसी का,
यह न तेरा है न मेरा है,
पराया नहीं कोई जग में,
यह धरती रैन बसेरा है।

सूनी है हर एक गलीयाँ,
पथ पर फूल बिछाता चल,
गोविन्द गोपाल गाता चल,
कृष्णा से प्रीत बढ़ाता चल॥

यह दुनिया केवल है प्रभु की,
हर तट प्रीत की गागर है,
यहाँ हर मन एक मन्दिर है,
हर दिल प्रेम का सागर है।

हर मन्दिर में प्रभु विराजे,
सभी को शीश झुकाता चल।
गोविन्द गोपाल गाता चल,
कृष्णा से प्रीत बढ़ाता चल॥

Tuesday, February 8, 2011

॥ बोलो राधे-राधे श्य़ाम ॥


श्य़ाम-राधे कोई ना कहता,
कहते सभी राधे-श्य़ाम।
जन्म-जन्म के भाग जगा दे,
राधा का एक नाम॥

राधा बिना श्य़ाम है आधा,
गाते रहना राधे-श्य़ाम।
बोलो राधामाधव गिरधारी,
बोलो राधे-राधे श्य़ाम॥

बिन माला जैसे मोती,
बिन दीपक जैसे ज्योति।
चंदा बिना चाँदनी कैसी,
बिन सूरज धूप न होती॥

बिन राधा कहाँ है पूरा,
नटवर नागर का नाम।
बोलो राधारमण बिहारी,
बोलो राधे-राधे श्य़ाम॥

बिन जल के जैसे धारा,
बिन नदी के जैसे किनारा।
साथ जैसे नील गगन के,
सूरज चंदा और है तारा॥

बिन राधा के है अधूरा,
मन वृंदावन भक्ति धाम।
बोलो राधेगोविन्द गोपाल,
बोलो राधे-राधे श्य़ाम॥

राधा नाम भुलाय़ा जिसने,
उसने अपना जन्म गंवाया।
धन्य-धन्य है वाणी उसकी,
जिसने राधा नाम है गाया॥

बिन राधा सुमिरन किये,
नहीं मिलते घनश्याम।
बोलो राधाबल्लभ लाल,
बोलो राधे-राधे श्य़ाम॥

Thursday, February 3, 2011

॥ नाम प्रभु का सदा रहेगा ॥


प्रभु का मन में ध्यान रहेगा,
राधे का जुबां पर नाम रहेगा,
संचार होगा कृष्ण भक्ति का,
तन का सफ़र आसान रहेगा।
न मैं रहुंगा न मेरा रहेगा,
मगर नाम प्रभु का सदा रहेगा॥

जितना कम सामान रहेगा,
जीवन का सफ़र आसान रहेगा,
जितनी भारी कामना की गठरी,
उतना ही तू हैरान रहेगा।
न हम रहेंगे न हमारा रहेगा,
मगर नाम प्रभु का सदा रहेगा॥

प्रभु से मिलन दुष्कर रहेगा,
जब तक ख़ुद का ध्यान रहेगा,
हाथ मिलें और दिल न मिलें,
ऐसे में सदा नुकसान रहेगा।
न मैं रहुंगा न मेरा रहेगा,
मगर नाम प्रभु का सदा रहेगा॥

मन्दिर-मस्जिद विवाद रहेगा,
गीता-कुरान में भेद रहेगा,
मुश्किल में इन्सान रहेगा,
बिधि का विधान सदा रहेगा।
न हम रहेंगे न हमारा रहेगा,
मगर नाम प्रभु का सदा रहेगा॥

Wednesday, February 2, 2011

॥ जब कान्हा ही हमारा होगा ॥


जीवन के हर पल में,
प्रभु नाम का सहारा होगा,
जग में किसी के लिये,
कभी कोई पराया न होगा।

सभी के मन के आंगन में,
चांदनी का प्रकाश होगा,
तब एक दिन ऎसा होगा,
जब कान्हा ही हमारा होगा॥

हमेशा दूसरों के लिये हमें,
मोतीयों को चुनना होगा,
हर दिल को हमेशा हमें,
प्रेम जल से सींचना होगा।

काम मुश्किल हमें लगेगा,
मगर फिर भी करना होगा,
तब एक दिन ऎसा होगा,
जब कान्हा ही हमारा होगा॥

अपने दिल को प्रेम दीप से,
हर पल प्रकाशित करना होगा,
किसी के भी दिल में तब,
अज्ञान का अंधकार न होगा।

सभी की आँखों में केवल,
मुहब्बत का सितारा होगा,
तब एक दिन ऎसा होगा,
जब कान्हा ही हमारा होगा॥

रात के सन्नाटे में यह दिल,
तन्हाई का मारा न होगा,
दुश्मन भी इस दिल में हमें,
अपना मित्र लग रहा होगा।

तन की हर एक श्वांस में,
कृष्णा का नाम रम रहा होगा,
तब एक दिन ऎसा होगा,
जब कान्हा ही हमारा होगा॥