Sunday, February 13, 2011

॥ मेरे ज़ज्बात कृष्णा के लिये ॥


मैं अपने जज्बातों को कभी सजा नहीं देता हूँ,
अंधेरा होने पर चिरागों को न बुझने देता हूँ।
जब कभी दिल को कहीं सुकून नहीं मिलता,
तो मुख से नाम कृष्णा का लेकर भुला देता हूँ।

आँसुओ को दुनियाँ के लिये न कभी बहाता हूँ,
दिल की हर बात किसी को न कभी बताता हूँ।
अश्रु तो बहते हैं तो अपने कृष्णा के लिये सिर्फ़,
अगर कोई बात हो तो कृष्णा को ही बताता हूँ।

जान से भी ज्यादा कृष्णा से प्यार करता हूँ,
याद हर पल उसको दिन-रात किया करता हूँ।
जिन राहों पर क्रीड़ा किया करते थे कान्हा,
उन राहों पर सदा मस्तक झुका दिया करता हूँ।

लबों की हर हँसी कृष्णा के नाम कर देता हूँ,
मन की हर खुशी कृष्णा पर कुर्बान कर देता हूँ।
कृष्णा से बिछुड़ने का जब सताता है गम मुझे,
जीवन का हर क्षण कृष्णा को ही अर्पण कर देता हूँ।