Wednesday, December 22, 2010

॥ प्रभु न मिले प्रेम के बिना ॥


प्रभु न मिले प्रेम के बिना।
चाहे लाख कर लो उपाय॥

प्रभु न मिलें यमुना गंगा में,
चाहे लाख डुबकी लगाय।
प्रेम सरोवर में जो डूबे,
उसे मोहन झलक दिखाय॥

प्रभु न मिलें पर्वत निर्जन में,
चाहे लाख ध्यान लगाय।
प्रेम बाग में जो ड़ोले,
उसके मन गोपाल प्रकटाय॥

प्रभु न मिलें पण्डित ज्ञानी में,
चाहे लाख शास्त्र रटाय।
ढाई आखर प्रेम के पढ़े जो,
उसे गोविन्द कंठ लगाय॥

प्रभु न मिलें किसी मूर्ति में,
चाहे लाख परिक्रमा लगाय।
प्रेम अश्रु जिन नैन झलके,
उन नैनन घनश्याम बस जाय॥

प्रभु न मिले प्रेम के बिना।
चाहे लाख कर लो उपाय॥