Friday, December 31, 2010

॥ ऎसी कृपा कर दो मेरे कान्हा॥


सब कुछ छोड़ भजन करूँ तेरा,
ऎसी कृपा कर दो मेरे कान्हा।
मुझे वेद ज्ञान से क्या है लेना,
प्रेम का पाठ पढ़ा दो मेरे कन्हा॥

जहाँ ऊँच-नीच का भेद न हो,
जाति-पाति की बात न हो,
मंदिर मस्जिद में भेद न हो,
ऎसा प्रेम बरसा दो मेरे कान्हा।
सब कुछ छोड़ भजन करूँ तेरा,
ऎसी कृपा कर दो मेरे कान्हा॥

जहाँ जीवन का श्रृंगार त्याग हो,
जीवन का आधार प्यार हो,
हर जीवन का सार प्रेम हो,
ऎसा अमृत पिला दो मेरे कान्हा।
सब कुछ छोड़ भजन करूँ तेरा,
ऎसी कृपा कर दो मेरे कान्हा॥

जहाँ देखूँ वहाँ तुम ही तुम हो,
जीवन के हर रंग में तुम हो,
तुझमें मैं हूँ, मुझमें तुम हो,
ऎसा प्रेम रंग चढ़ा दो मेरे कान्हा।
सब कुछ छोड़ भजन करूँ तेरा,
ऎसी कृपा कर दो मेरे कान्हा॥